राजनीति

शिंदे के बयान का फायदा उठाना चाहती है कांग्रेस और भाजपा

शादाब जफर ‘‘शादाब’’

गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हिंदू आतंकवाद पर बयान देकर जैसे मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया है। वैसे गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने जो कुछ कहा वो सौलाह आना सही है। क्यो की जब बाबरी मस्जिद को शहीद किया गया था उस वक्त इन्ही आरएसएस, बीजेपी और शिव सेना के लीडरान ने सीना ठोक कर टीवी चैनलो के सामने कहा था कि किस प्रकार बाबरी मस्जिद गिराने के लिये कारसेवको ने बाकायदा आरएसएस, बीजेपी और शिवसेना के कैंपो में टेªनिंग ली। अब अगर शिदे जी ने उसे दोहरा दिया तो क्या गजब हो गया। आरएसएस और बीजेपी के ट्रेनिंग कैंप में हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाता है ये बात न तो किसी से छीपी है और न ही झूठ है। अजमेर के ख्वाजा मोईनुददीन चिश्ती रहमतुल्लाहअलेह की दरगाह पर 11 अक्टूबर 2007 में हुए बम धमाको में अजमेर ब्लास्ट के तीन साल बाद जब राजस्थान पुलिस के आतंक निरोधी दस्ते एटीएस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक वरिष्ट नेता इंद्रेश कुमार, स्वामी असीमान्द, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, सुनील जोगी, संदीप डांगे, लोकेश शर्मा, व देवेन्द्र गुप्ता समेत सात लोगो के खिलाफ जब आरोप पत्र दाखिल किया और उस में संघ के वरिष्ट नेता इंद्रेश कुमार का नाम आया तो मानो पूरे देश में इसी प्रकार वबाल मच गया था।

गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का हिंदू आतंवाद पर बयान आते ही संघ और बीजेपी का पारा चढ़ गया, बुरी तरह तिलमिलाए संघ ने शिंदे को आतंकवादियों का डार्लिंग बता डाला, वहीं बीजेपी ने इनके इस्तीफे की मांग पर आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने जो कुछ कहा उस में कुछ झूठ नही है क्यो कि 24 अगस्त 2008 को कानपुर में बजरंग दल के दो कार्यकर्ता बम बनाने के दौरान हादसे का शिकार हो कर मारे गये इस हादसे कि जॉच से जुडे कानपुर रंेज के डीजीपी एसएस सिॅह ने जो ब्यान मीडिया को दिये यदि लोगो आप को याद हो तो उन्होने कहा था कि इस समूह ( बजरंग दल) की योजना प्ूारे राज्य में भीषण बम धमाके करने की थी। जनवरी 2008 में तलिनाडू के तेनकासी आरएसएस कार्यालय पर हुए पाईप बम धमाको को मुस्लिम जेहादी लोगो ने अन्जाम दिया संघ ने पूरे जोर शोर से इस का प्रचार किया किन्तु जॉच होने के बाद जब इस मामले में हिन्दू लडको के नाम सामने आने लगे तो इसे दबा दिया गया। 23 अक्टूबर को इडियन एक्सप्रेस ने अपने अक में साफ साफ लिखा कि मालेगॉव व मोडासा में हुए बम धमाको में शामिल लोगो का संबंध अखिल भारतीय विधार्थी परिषद से है। ये सारे के सारे लोग और सारे के सारे संगठन वो है जो कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते है हिदुत्व और हिन्दू राष्ट्र की विचारधारा के सर्मथक है। देश के बेगुनाह नागरिको का खून बहाने वाले ये लोग क्या राष्ट्रवादी है। इन बम विस्फोटो में शामिल संगठन राष्ट्रवादी संगठन हो सकते है।

वहीं, सरहद पार से आतंकवादियों का मुखिया हाफिज सईद भारत में आतंकवाद के मजहब पर छिड़ी इस सियासत पर गदगद नजर आया। लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी कांग्रेस और सरकार, शिंदे के साथ मजबूती से खड़ी है। आखिर क्या कांग्रेस इन बयानो की आड़ में मुस्लिमो को खुश करना चाहता या फिर दहशत की राजनीति करना चाह रही है। बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद के ने तो इस मुद्दे पर 24 जनवरी को बीजेपी का देशव्यापी आन्दोलन तक का ऐलान कर ये मांग भी कर डाली की सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस बयान के लिए माफी मांगे और शिंदे को उनके पद से बर्खास्त किया जाए। शिंदे ने ये आरोप मालेगांव धमाके, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट और हैदराबाद के मक्का मस्जिद विस्फोट जैसे केस की जांच के आधार पर लगाए। जांच में कई ऐसी शक्लें सामने आईं जो किसी न किसी रूप में भगवा ताकतों के साथ खड़ी नजर आ रही थीं। में समझता हॅू कि शिंदे ये कहना चाहते थे कि इस्लामिक आतंकवाद ही नहीं हिंदू आतंकवाद भी देश को जख्म दे रहा है और जिस तरह इस्लामिक आतंकवाद सरहद पार पनप रहा है, वहीं हिंदू आतंकवाद देश की सरजमीं पर ही पनपाया जा रहा है।ं पर जिस प्रकार से मीडिया ने उनके इस बयान को हवा देकर पेश किया उन का ये बयान गांव की आग की तरह सारे देश में फैल गया।

गृहमंत्री शिदे का ये बयान यकीनन सरहद पार के लिये फायदे का था सो उन्होने इसे लपकने में जरा भी देर नही की भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा का सियासी चेहरा जमात-उद-दावा का प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद षिंदे को बधाई देते हुए उनके बयान की आड़ में खून से सना अपना दामन धोने की कोशिश में दिखा। वो खुश दिखा कि भारत में आतंकवाद को मजहब में बांट कर देखा जो जा रहा है। जमात-उद-दावा का प्रमुख हाफिज़ सईद का कहना है कि अल्लाह के करम से यह एक बहुत बड़ी बात है कि भारत के गृह मंत्री ने साफ मान लिया है कि भारत में ही दहशतगर्द पनप रहे हैं। साफ दिख रहा है कि हम पर जबरदस्ती इल्जाम लगाया जाता है। गृह मंत्री के इस बयान से सिर्फ और सिर्फ ये ही नुकसान है कि सरहद पार के आतंकवाद पर भारत कमजोर हो गया। संघ के कानों में ये बयान जैसे शीशा उड़ेल गया। तिलमिला कर उसने पाकिस्तान की गोद में बैठे सईद के बयान के लिए भी शिंदे को ही जिम्मेदार करार दिया। शिंदे को आतंकवादियों का डार्लिंग कहा गया।

देश के गृह मंत्री जैसे ऊंचे पद पर बैठकर हिंदुओं और हिंदू संगठनो को आतंकवादी घोषित करने के लिये एक ओर जहॉ शिदे की निंदा हो रही है वही दूसरी ओर लश्कर-ए-तैय्यबा और जमात-उद-दावा जैसे प्रतिबंधित संगठन गृह मंत्री की वाहवाही कर रहे हैं। इस सब के बावजूद सरकार और पार्टी शिंदे के साथ खड़ी हो गई। संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ के मुताबिक हम सब जानते हैं कि बीजेपी, आरएसएस का हिस्सा है। बीजेपी और आरएसएस की बीच जो विवाद की परिस्थितियां सामने आईं हैं, उससे ध्यान हटाने की ये कोशिश है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के मुताबिक आरएसएस के लोग आतंकी गतिविधि में शामिल हैं।

जाहिर है, हिंदू संगठनो और कांग्रेस दोनों ओर से घेराबंदी हो चुकी है। लेकिन इन सबके बीच कई सवाल भी हैं। सुशील कुमार शिंदे के इस बयान का आखिर मतलब क्या है? क्या कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर नए ध्रुवीकरण की कोशिश में है? क्या कांग्रेस का इरादा एनडीए में बीजेपी के सहयोगियों पर दवाब बनाने का है?क्या आतंकवाद को मजहब में बांटने से देश के बाहर बैठे आतंकी गुटों को फायदा नहीं मिलता? सियासी गलियारे में गूंज रहे इन सवालों का रिश्ता सीधे, अगले आम चुनाव से है, जिसकी तैयारी में कांग्रेस और बीजेपी दोनों जुट गई हैं।

इस सारे मुद्दे पर में इतना जरूर कहना चाहॅूगा के गृहमंत्री जैसे अति महत्तवपूर्ण पद की गरीमा का भी षिंदे जी को ध्यान रखना चाहिये उनके इस बयान से भले ही कांग्रेस को थोडा बहुत फायदा हो और कुछ मुस्लिम वोट बैंक बढे पर भारत में आतंकवादी गतिविधियो में लिप्त लोगो, सरहद पार के आतंवाद को जरूर षिंदे जी के इस बयान से एक बहुत बडा फायदा हुआ होगा। क्या देश के गृहमंत्री को ऐसा बयान देना चाहिये जिस से देश की एकता अखडता खतरे में पड जाये। कभी अकेले में बैठ कर शिदे जी को इस गम्भीर मुद्दे पर जरूर सोचना होगा।