साठ में से चार पोस्ट सेक्स पर क्या लिखा हो गया बबाल

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अरे , भाई यह क्या गजब हो गया .मैंने तो सेक्स / काम – चर्चा की कड़ियाँ लिखनी शुरू कर दी .अब लोगों को कैसे साबित करूँगा कि मैं ब्लॉग हित ,देश हित ,जन हित …. में लिखता हूँ  ! . सेक्स /काम का जन से क्या सरोकार !  कुछ अन्य ब्लॉगर को देखो धर्म -चर्चा में विलीन हैं, अपने -अपने ब्लॉग पर अवतारों की चर्चा  करते हैं , और मैं मूढ़ सेक्स की बात करता हूँ ! छि छि छि ….. लोग मिलते हैं तब पूछते हैं कि आप हीं हैं जो प्रवक्ता पर सेक्स चर्चा करते हैं  . मैं कहता हूँ , हाँ . अब जरा यह बताइए प्रवक्ता पर मेरे  साठ  आलेख विभिन्न विषयों से जुड़े  प्रकाशित हुए हैं जिनमें से केवल ४ पोस्ट सेक्स को लेकर लिखा गया है . लेकिन लोगों को केवल सेक्स हीं दिखता है और यही दृष्टिकोण मुझे सेक्स चर्चा लिखने पर बाध्य करता है .
मैं लोगों को विचारकों के हवाले से कहता हूँ कि सेक्स प्रेम की यात्रा का उदगम स्थल है . काम जीवन का बाह्य सच है जिसे अनुभव कर जिससे तृप्त होकर हीं प्रेम को और प्रेम में डूब कर परमात्मा को पाया जा सकता  है . जब जीवन की सबसे मूल बीज प्रक्रिया को ना समझ पाया तो इश्वर को जानने का सवाल नहीं बनता .
मान लीजिये मुझे हरिद्वार जाना हो और मैं तो दिल्ली रहता हूँ . तब पहला काम क्या होगा ? पहला काम होगा कि मैं दिल्ली के बारे में जानु दिल्ली कहाँj है , किस दिशा में है , आदि तब हरिद्वार का पता लागों कि किस दिशा में ,कितनी दूरी  पर कहाँ स्थित है . मतलब , पहले जहाँ मैं खड़ा हूँ वह स्थान तो मालुम हो कहाँ है क्या है आदि आदि ………………अर्थात यात्रा का प्रारंभ पहले है अंत बाद में . ठीक उसी तरह जीवन के सफ़र में मोक्ष / परमात्मा की प्राप्ति मानव का ध्येय है . हम जहाँ खड़े हैं वह प्राथमिक बिंदु ही सेक्स है , जहाँ पैदा हुए वह सेक्स है , तब इसके बगैर इश्वर की चर्चा व्यर्थ न होगी ?
मेरे आलेख में लोग सेक्स का प्रचलित रूप ( मस्त राम की कहानी) ढूंढने आते हैं . नहीं मिलता तो मैं क्या करूँ क्योंकि मेरा सेक्स गूगल सर्च में आने वाले सेक्स से अलग है . मेरा सेक्स उन तमाम विचारकों मसलन ,वात्स्यायन,फ्रायड ,ओशो आदि से प्रभावित है . इन सब के विचारों में अपनी समझ खोल कर बनाई जा रही अवधारणा है . ऐसे समय में जब दुनिया में प्रेम घट रहा है , सेक्स विकृत हो रहा है , समाज द्वारा स्थायित्व के लिए बनाई गयी व्यवस्था विवाह /शादी टूट  रही है , दुनिया में एक दुसरे के प्रति नफरत बढ़ती जा रही है , आध्यात्मिकता की घोर जरुरत है . आध्यात्म से काम को ,सेक्स को जोड़े जाने की टूटी कड़ियों को मिलाने की आवश्यकता है . लेकिन नहीं मुझे यह सब नहीं लिखना चाहिए यह समाज के खिलाफ है ! विद्यालयों में सेक्स शिक्षा के नाम पर सेक्स कैसे करें , ऐड्स से कैसे बचें, कंडोम क्या है ,आदि बताया जा रहा है .लेकिन फ़िर भी मुझे चुप रहना चाहिए ,आप सभी को चुप रहना चाहिए क्योंकि अब तक हम चुप रहते आये हैं सेक्स को नितांत निजी और बिस्तर भर का उपक्रम मानते ए हैं ! भला वर्षों की मानसिकता को कैसे ठोकर मार  दें ? मन  चाहे दिन-रात चिंतन में लगा रहे , इंटरनेट पर बैठते हीं भले उंगलियाँ गूगल में सेक्स टाइप करती रहे पर हम चर्चा नहीं करेंगे ! क्योंकि इससे देश हित ,समाज हित , नहीं  जुड़े हैं . हम अवतारों की झूठी अफवाहें जरुर फैलायेंगे , किसी भी बिल्डिंग को धार्मिक स्थल की नक़ल बताएँगे , दूसरे धर्म को गाली देंगे , आतंकवादियों / नक्सलियों का समर्थन करेंगे पर साहब सेक्स चर्चा ….. राम ……….राम …………… लाहौल बिलाकुवत …………..

2 COMMENTS

  1. विप्लव जी लिखियॆगा कॊइ आसमान टूटनॆ वाला नही है दिन रात कन्डॊम कॆ विग्यापन टीवी पर दॆखनॆ मॆ हम समाज् की कोई फिकर नही हॊती हे पूरा परिवार शान्ति पूर्वक सब दॆखता रहता हे छोटॆ बच्चॆ क्भी पूछ्तॆ भी हे क्या जिम्मॆवार लॊग कुछ कर पातॆ है?

  2. विप्लव जी ने कडुवी बात कह दी .. सच जो कह दिया है.. कई लोग अपने गिरेबान में झाँक कर राम राम बोलेंगे .. ये राम राम बोलने वाले ही सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं …. सच जैसा है वैसा स्वीकारें तो इनकी अंतरात्मा शुद्ध हों जाये मगर क्यों करें ये ऐसा ! इनकी राम नामी उतर जो जायेगी…इनकी गिनती महान पुरुषों में जो नहीं होगी .

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