भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा बलिदान था ” तारापुर गोलीकांड “
अंग्रेजों के थाने पर तिरंगा फहराने के लिए हंसते हंसते खायी थी देशभक्तो ने सीने पर…
अंग्रेजों के थाने पर तिरंगा फहराने के लिए हंसते हंसते खायी थी देशभक्तो ने सीने पर…
रविवार की सुबह AIR पर “मन की बात” कार्यक्रम में प्रधानमंत्री को सुन रहा था…
जयराम विप्लव लाल आतंकवाद ( माओवाद ) समर्थक बताएंगे कि दलितों/ वंचितों /आदिवासियों की हत्या…
जयराम विप्लव आज़ादी की बीते 63 सालों में देश के लाखों बुनकरों की समस्याएं और…
१० अक्तूबर को भारत नीति संस्थान के द्वारा दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली में ”…
हम महात्मा गांधी को राष्ट्र पिता कहते हैं, किंतु उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर भाषणबाजी…
छोड़ दो थोड़ा-सा दूध थनों में
गायों के बच्चों के लिए
पेड़ में कुछ टहनियां छोड़ दो
नई कोपलों के आने के लिए
गाँधी का जन्म हिंदू धर्म में हुआ, उनके पुरे जीवन में अधिकतर सिधान्तों की उत्पति हिंदुत्व से हुआ. साधारण हिंदू कि तरह वे सारे धर्मों को समान रूप से मानते थे, और सारे प्रयासों जो उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कोशिश किए जा रहे थे उसे अस्वीकार किया.
अगर एक व्यक्ति समाज सेवा में कार्यरत है तो उसे साधारण जीवन की ओर बढ़ना चाहिए ,ऐसा बापू का कहना था जिसे वे ब्रह्मचर्य के लिए आवश्यक मानते थे. उनकी सादगी ने पाश्चात्य जीवन शैली को त्यागने पर मजबूर किया
बाल्यकाल में गांधी को मांस खाने का अनुभव भी मिला। उनकी जिज्ञासा के उत्साहवर्धक में उनके मित्र शेख मेहताब का सहयोग मिला । शाकाहार का विचार भारत की हिंदु और जैन परम्पराओं में कूट-कूट कर भरा हुआ था .उनकी मातृभूमि गुजरात में ज्यादातर हिंदु शाकाहारी ही थे।
प्रवक्ता पर एक पखवाड़े से गाँधी के सिद्धांतों और हिंद स्वराज को लेकर विमर्श चल रहा है . आज भारत हीं नहीं संसार के अनेक देशों के विद्वान गाँधी दर्शन में वैश्विक स्तर पर संघर्षों से उत्पन्न कुव्यवस्था का समाधान बता रहे हैं .बीते दिनों गाँधी जयंती के दौरान काहिरा में आयोजित एक संगोष्ठी में अरब के गणमान्य नेताओं ने गाँधी के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की
मृतकों का पश्चात्ताप , दे रहा जिन्दों को दस्तक
दिल्ली हुई नेतृत्व विहीन , झुका राष्ट्र का मस्तक.
है पड़ोसी मुल्क से आ रही ड्रैगन की फुंफकार
कहाँ गये वो रक्षक अपने , क्यों गिरी उनकी तलवार ?