छोटे भीम का हाथ-प्रभुदयाल श्रीवास्तव

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

सल्लूभाई के ठाठ निराले हैं,पढ़ते तो नर्सरी कक्षा में हैंकिंतु उनके हाव भाव से लगता है कि जैसे किसी बड़े महाविद्यालय के विद्यार्थी हों|पहले तो शाला जाने में ही अपने मम्मी पापा को बहुत तंग करते हैं|लंच बाक्स में रखने के लिये रोज नये नये

पकवानों की फरमाइश होती है|कभी कहेंगे आलू परांठा बना दो ,कभी कहेंगे आज मटर पनीर की सब्जी लेकर ही जायेंगे

तो कभी डोसे की फरमाइश कर बैठते हैं|मम्मी डोसा बना देतीं हैं तो कहते हैं इसमें मसाला कहां है,मैं तो मसाला डोसा ही लेकर जाऊंगा| बस दरवाजे पर आकर कम से कम तीन हार्न बजाती है तब सल्लूभाई बस की ओर धीरे धीरे बढ़ते हैं|वैसे भी शाला मॆं वे पढ़ाई कम और शैतानी ही ज्यादा करते हैं|उनका पूरा नाम शालिग्राम है परंतु दादा दादी ने जो सल्लू कहकर श्रीगणेश किया तो लोग शालिग्राम भूल ही गये|उनकी दो बहने भी हैं,दोनों बड़ीं हैं|टिमकी और लटकी उनके घर के नाम हैं|ये दोनों भी शैतानी में मास्टर हैं और धमाचौकड़ी की डाक्टर हैं यदि कोई शैतानी की प्रतियोगिता हो तो निश्चित ही दोनों को स्वर्ण पदक प्राप्त हो जाये|शाला से आते ही बस्ता पटका और तीनों ही बैठ जाते हैं टी वी देखने\ तीनों का एक ही शौक है,पोगो और दूसरे कार्टून चेनल देखना|इस चेनल में मजेदार कार्टून बाल सीरियल, कहानियाँ इत्यादि आते हैं| कभी छोटा भीम तो कभी टाम एंड जेरी ,कभी गणेशा तो कभी हनुमान जैसे सीरियल देखते हुये ये बच्चे अपनी सुध बुध ही भूल जाते हैं|न खाने की चिंता न पीने की चिंता बस पोगो मॆं ही जैसे पेट भर जाता हो\पापा मम्मी सब परेशान|पापा को न क्रिकेट देखने को मिलता है न ही मम्मी को कोई भी सीरियल|दादाजी तो समाचार देखने को तरस जाते हैं|और दादी बेचारी मन मसोसकर रह जातीं है भजन सुनने देखने को आँखें कान तरसते रहते हैं|अरे जब अपने पापा मम्मी की नहीं सुनते तो दादा दादी की तो बात ही छोड़ो| तीनों बच्चों कि जिद कि पोगो देखेंगे,छोटा भीम देखेंगे}रिमोट कंट्रोल लेकर सल्लूभाई ऐसे बैठ

जाते हैं जैसे सीमा पर सैनिक रायफल लिये बैठा हो|किसी ने रिमोट छुड़ाने की कोशिश की तो रोने के गोले दागने लगते

हैं|आखिर जीत उनकी ही होती है,रुलाई और चिल्लाने के गोलोंसे सब डरते हैं| दादी जी बेचारी रामायण सीरियल देखने को तरस रहीं हैं तो दादाजी को हर हर महादेव देखना है पर क्या करें मजबूरी का नाम सल्लूभाई है| तीनो बच्चे एक साथ बैठते हैं इनके हाथ से रिमोट छुड़ाने के प्रयास में बड़े बड़े तूफान आ चुके हैं जिसका असर घर के तकियों सोफा कवरों और चादरों पर पड़ा है|

“किन गधों ने ये कार्टून सीरियल बनाये हैं उन्हें शूट कर दो” दादाजी चिल्लाते|”भागवत कथा टी वी में देखना मेरी किस्मत में ही नहीं है”दादीजी हल्ला करतीं|पर सब बेकार चिल्लाते रहो बच्चों पर किसी बात का कोई असर नहीं|

“टी. वी. बाहर फेक देते हैं” पापा चिल्लाते| “कितने अच्छे सीरियल निकल रहे हैं” मम्मी हाथ झटककर कह्तीं|

एक दिन तीनों छोटा भीम देख रहे थे|अचानक टी. वी. के स्क्रीन में से छोटे भीम का हाथ निकला और उसने सल्लूभाई को पकड़ लिया |’अरे अरे यह क्या करते हो सल्लू भाई पीछे को सरकने लगे|भीम ने बड़े जोर से सल्लू का हाथ पकड़ लिया|’मैंनें क्या किया छोड़ो प्लीज़” सल्लू ने डरते डरते भीम की तरफ देखा|

“मैं आपसे बहुत नाराज़ हूं मैं नहीं छोड़ूंगा|”

“परंतु मैंने किया क्या है मैं तो तुम्हारा प्रशंसक हूं रोज ढिशुम ढिशुम करता हूं|’

“तुम रोज अपने पापा मम्मी को परॆशान करते हो| दिन भर टी.वी. देखते हो उन्हें कुछ भी नहीं देखने देते न ही सीरीयल देखने देते हो न ही पिक्चर देखने देते हो|”

“मेरा हाथ छोड़े भीम भैया दर्द हो रहा है न”

“नहीं छोड़ूंगा,पहले आप प्रतिग्या करॊ कि दिन भर टी वी नहीं देखोगे|टिमकी और लटकी तुम दोनों भी कान खोलकर सुन लो| कि आइंदा तुम लोग भी दिन भर टी वी नहीं देखोगे|”इन दोनों को गोलू और ढोलू ने पकड़ रखा था|

“हाँ हाँ टिमकी और लटकी भीम भैया ठीक कह रहे हैं सारे दिन अकेले अकेले टी वी नहीं देखना चाहियॆ गोलू ने समझाइश दी| “सबको मौका मिलना चाहिये.दादाजी को दादीजी को पापा को मम्मी को सब लोग अपने पसंद की चीजें देखना चाहते हैं|”ढोलू ने कहा| फिर ज्यादा टी.वी. देखने से आंखें भी खराब होतीं हैं|”सल्लू की लाल लाल आँखों में झाँककर उन्होंने उसकी पीठ पर एक हल्की धौल भी जमा दी|

“पर भीम भैया और ढोलू गोलू भैया हमें आप लोगों को देखने में बहुत मजा आता है|’

“देखो मित्रो हर काम की एक सीमा होती है हद से बाहर जाकर कोई काम करोगे तो नुकसान‌ होता है|हमारे बुजुर्गों ने कहा है अति सर्वत्र वर्जयेत|पापा को समाचार देखने दिया करो मम्मी को उनके पसंद के सीरीयल देखने दिया करो तो वे तुम्हें अच्छी अच्छी चीजें लाकर देंगे|

 

“पर मुझे तो पोगो…”सल्लू भाई कहना चाह रहे थे कि भीम ने रोक दिया|

“नहीं सल्लू भइया टी. वी. से पेट नहीं भरता ,खाना नहीं खाओगे और लगातार टी वी देखोगे तो बीमार हॊ जाओगे न|”

“ठीक कह रहे हैं भीम भईया आप,”लटकी और टिमकी ने भी उनकी बात का समर्थन किया|

“दादाजी को भी रामायण देखने दिया करो तो दादाजी भी खुश रहेंगे|उनको क्रिकेट‌ मेच भी देखने दिया करो,आखिर बूढ़े आदमी हैं कहां जायेंगे|तुम लोगों को खूब दुआयें देंगे|” भीम ने सबको फिर समझाया|

‘ परंतु ‘…सल्लू ने फिर कुछ कहना चाहा|

“अब बिल्कुल कुछ नहीं सुनूगा |हां दादी को भजन अच्छे लगते हैं जब भजनों का समय हो तो दादी को बुलाकर बोलना कि दादी प्लीज़ भजन सुन लीजिये भजन आ रहे हैं| भीम थोड़ा जोर से बोला तो तीनो बच्चे सहम गये|

“ठीक है भीम भईया हम सबको टी वी देखने देंगे,तीनों एक साथ बोले|

“प्रामिस” भीम ने सबकी ओर आशा भरी नज़रों से देखा|

“मदर प्रामिस भैया,मदर प्रामिस “सल्लू ने हँसकर कहा|

“और टिमकी लटकी आप भी प्रामिस करें”गोलू ढोलू ने कहा|

“हां हां प्रामिस दोनों ने जोर से चिल्लाकर कहा|” भीम गोलू और ढोलू तीनों ने अपने हाथ टी वी के भीतर खींच लिये|

“अब यदि आपने लगातार टी वी देखा तो अगली बार हम लोग कालिया को भी ले आयेंगे” जाते जाते गोलू जोर से चिल्लाया|

” नहीं नहीं उस मोटे को मत लाना, हम लोग आप का कहना मानेंगे तीनो चिल्लाकर बोले|

जब से आज तक सब ठीक है, पापाजी समाचार देखते हैं मम्मी जी सीरीयल देखतीं हैं और दादाजी क्रिकॆट‌, और दादी के मज़े हैं खूब भजन देखती हैं सुनतीं हैं|सल्लू भाई कभी कभी लगातार बैठने की कोशिश करते तो हैं परंतु कलिया को बुलाने की बात से वे डर जाते हैआखिर‌ उस मोटे कालियाको क्यों घर में आने देंगे|

Previous articleकानून के डर की बजाए स्वनियमन ही दहेज़ प्रथा को खत्म करेगा
Next articleबोफोर्स मामले ने बदली देश की राजनीति
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress