कविता साहित्‍य

कैलिफ़ोर्निया में हिमपात

कैलिफ़ोर्निया में हिमपात
कैलिफ़ोर्निया में हिमपात

टाहो झील पर –
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हिमाच्छादित पर्वत-श्रेणी ,
शैलशिखर संग शोभित थी ।
ओढ़ रुपहली चूनर मानो ,
वधू सदृश वह गर्वित थी ं।।
ऊपर नभ का था वितान और,
पवन झकोरे मंगल गाते ।
खड़े संतरी से थे तरुवर ,
मानो थे पहरा देते ।।
उत्सव सा था सजा हुआ ,
जो देख प्रकृति भी पुलकित थी ।
अपलक सी मैं रही देखती,
मन में बड़ी प्रफुल्लित थी ।।
बाल-वृन्द हर्षित से होकर,
हिम-कन्दुक क्रीड़ा करते थे ।
दूर वहीं पर मिलकर युवजन,
हिम-मानव को रचते थे ।।
हिम के टीले सभी कहीं थे,
धरा धवल सी दिखती थी ।
दर्शनीय सा दृश्य वहाँ था,
शोभा मन को हरती थी ।।
वातावरण भव्य था अतिशय,
नीरवता सी छाई थी ।
ज्यों अभिसार रचाने मानो,
प्रकृति-सुन्दरी आई थी ।।