कविता

जीवन की कुछ सच्चाईयां


life

मृत्यु है जीवन का अंतिम छोर,
ये तो सबको एक दिन आयेगी।
इससे बच न सका कोई प्राणी,
ये तो सबको संग ले जायेगी।।

आता है जीवन में उतार चढाव,
कोई भी नही इससे बच पाया है।
जीव मरने के बाद जाता कहां हैं,
ये सच कोई भी जान न पाया है।।

चार दिन की है जवानी तेरी,
फिर तो बुढ़ापा आ जायेगा।
कर ले कुछ तू अच्छे काम,
फिर वख्त तुझे न मिल पायेगा।।

जोड़ी है जो तूने ये धन दौलत,
ये यही पर ही सब रह जायेगी।
बांट ले इसे अपने दोनो हाथो से,
बाद में तेरे ये काम न आयेगी।।

कर न गुमान इस हुस्न पर तू,
ये तो दो दिन में ढल जायेगा।
कर ले तू प्यार से सबसे बाते,
ये वख्त तो फिर टल जायेगा।।

आर के रस्तोगी