प्रदीप कुमार वर्मा
देश के बहुत चर्चित नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की मुश्किल बढ़ती जा रहीं हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नोटिस जारी किया है। पिछले करीब एक दशक से चल रहे इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच तथा चार्ज सीट पेश करने के बाद नोटिस जारी करने का काम हुआ है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत दाखिल चार्ज सीट पर संज्ञान लेने से पूर्व यह बताने के लिए नोटिस जारी किए हैं कि चार्ज सीट पर संज्ञान क्यों ना लिया जाए? भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक निजी आपराधिक शिकायत से शुरू हुआ यह मामला अब सुर्खियों में है। आजादी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किए गए नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े इस मामले में कथित तौर पर करीब 2 हजार करोड रुपए के हेर-फेर के आरोप हैं।
नई दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने द्वारा सोनिया एवं राहुल गांधी के साथ-साथ सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, यंग इंडिया और डोटेक्स मर्केंटाइल को नोटिस जारी किया है। इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 8 मई की तारीख तय की है। वर्ष 2014 में नेशनल हेराल्ड का मामला तब सामने आया जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराते हुए कांग्रेस नेताओं पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा जून 2014 में दायर एक निजी आपराधिक शिकायत से शुरू इस मामले में आरोप लगे कि नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ी कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के अधिग्रहण और वित्तीय अनियमितताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आपराधिक साजिश रची है। इसके बाद में ईडी ने इस मामले की औपचारिक जांच 2021 में शुरू की थी।
ईडी के अनुसार इस मामले का केंद्र नेशनल हेराल्ड अखबार की मूल कंपनी एजेएल और यंग इंडियन नामक एक गैर-लाभकारी कंपनी है। यंग इंडियन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी है। जांच एजेंसी का यह भी दावा है कि यंग इंडियन को इस तरह बनाया गया, ताकि एजेएल की 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रियल एस्टेट संपत्तियों पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण हासिल किया जा सके। ईडी का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को लगभग 90 करोड़ रुपये का बिना ब्याज वाला कर्ज दिया, जिसे बाद में यंग इंडियन को केवल 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया। इस प्रक्रिया से यंग इंडियन ने एजेएल ने दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में मौजूद मूल्यवान संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया। ईडी का कहना है कि इस व्यवस्था से लगभग 988 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई। कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में नई दिल्ली में पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। खड़गे ने कहा कि सोनिया और राहुल गांधी के नाम को इस मामले में जानबूझकर घसीटा जा रहा है, लेकिन पार्टी इस “बदले की भावना” से डरने वाली नहीं है। इससे पूर्व भी राहुल और सोनिया गांधी का नाम होने के बाद कांग्रेस पार्टी इस मामले में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर एड की कार्रवाई को बदले की भावना से उठाया गया कदम करार दे चुकी है। यही नहीं अंदर खाने कांग्रेस में अभी भी इस संबंध में एक बड़ा आंदोलन करने की रणनीति पर काम चल रहा है। देश के चर्चित नेशनल हेराल्ड मामले के अतीत पर गौर करें तो पता चलता है कि 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की स्थापना के साथ इसका कंपनी के रूप में पंजीकरण हुआ।
इसके बाद में 9 सितंबर 1938 को जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया। इसी क्रम में वर्ष1962-63: में आईटीओ के पास बहादुर शाह जफर मार्ग पर एजेएल को 0.3365 एकड़ भूमि आवंटित की गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 22 मार्च 2002 को मोती लाल वोरा को एजेएल का चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया। इसके बाद में वर्ष 2008 में एजेएल को भारी नुकसान के बाद अखबार का संचालन बंद कर दिया गया। दिसंबर 2010 एजेएल पर कांग्रेस के 90 करोड़ रुपये बकाया होने की खबर सामने आई। तब 29 दिसंबर 2010 रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार एजेएल के शेयरधारकों की संख्या 1057 थी। 26 फरवरी 2011 को कांग्रेस ने एजेएल को 90 करोड़ रुपये ऋण दिया।ओर 2011 में यंग इंडिया लिमिटेड ने 90 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार को प्राप्त करने के लिए एजेएल को मात्र 50 लाख रुपये का भुगतान किया। यंग इंडिया ने इस कर्ज को माफ कर दिया और एजेएल पर यंग इंडिया नियंत्रण हो गया।
वहीं, 1 नवंबर 2012 को सुब्रमण्यम स्वामी ने पटियाला हाउस कोर्ट में निजी शिकायत दर्ज की। इस पर 2 नवंबर 2012 को कांग्रेस ने सफाई दी कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड अखबार को फिर से चलाने के लिए एजेएल को ऋण दिया था। वर्ष 2014 में ईडी ने सुब्रमण्यम स्वामी के निजी शिकायत पर ट्रायल कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद प्रकरण में मनी लॉन्ड्रिंग का पता लगाने के लिए मामले की जांच शुरू की। 26 जून 2014 को अदालत ने सोनिया और राहुल गांधी को आरोपित के रूप में समन किया ओर 19 दिसंबर 2015 को पटियाला हाउस की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने सोनिया व राहुल गांधी को नियमित जमानत दी।वहीं, वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद करने से इनकार किया। उधर,5 अक्टूबर 2016 को भूमि एवं विकास आफिस ने एजेएल को नोटिस जारी किया और कहा कि एजेएल की संपत्ति का इस्तेमाल प्रेस के कामों के लिए नहीं किया जा रहा है।
अक्टूबर 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने एजेएल को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया। 1 जून 2022 ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पेश होने का नोटिस भेजा। इस मामले में गांधी परिवार को एक बहुत बड़ा झटका तब लगा जब प्रवर्तन निदेशालय नें ६४ करोड़ रूपए की सम्पत्ति को स्थायी रूप से कुर्क कर दिया। ये सम्पत्तियाँ हरियाणा के पंचकुला में हैं।
इस मामले को भाजपा जहां केंद्रीय एजेंटीयों के बेहतर कामकाज का परिणाम मान रही है। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि यह बदले की भावना से उठाया गया कदम है। इस मामले में दोनों से ईडी ने पूछताछ की थी। अब नई दिल्ली की रॉाउस एवेन्यू कोर्ट द्वारा सोनिया और राहुल को नोटिस जारी करने के बाद उनकी मुश्किल है और बढ़ती दिखाई पड़ रही है।
बताते चलें कि यह चर्चित मामला आजादी से पूर्व शुरू हुए एक बड़े अखबार नेशनल हेराल्ड से जुड़ा है। आजादी से पूर्व वर्ष 1938 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी स्थापना की। तब इस अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के पास था जो दो और अखबार छापती थी। ये अखबार थे हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज। वर्ष 1956 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड को गैर व्यावसायिक कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 से कर मुक्त कर दिया गया। इसके बाद में कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चली गई। कंपनी पर 90 करोड़ का कर्ज भी चढ़ गया। इसी बीच साल 2008 में वित्तीय संकट के बाद इसे बंद करना पड़ा, जहां से इस विवाद की शुरुआत हुई। इसके बाद में नेशनल हेराल्ड मामले में यंग इंडिया कंपनी का समावेश हुआ, जिसमें राहुल और सोनिया गांधी की भागीदारी बताई जाती है।
प्रदीप कुमार वर्मा