लेख

सोनिया दुनिया की “टॉप 10” हस्तियों में

1968 में जब सोनिया माइनो इटली से इंदिरा गॉधी के पुत्र राजीव गॉधी की जीवन संगनी बनने पहली बार भारत आई थी तो लोगो ने उन्हे एक अजूबे कि तरह देखा था। पहली बार दिल्ली आते वक्त सोनिया के पिता ने उन्हे वापसी का टिकट भी दिया था। वह टिकट अतीत के अंधियारे में आज कहा गुम हो शायद सोनिया को भी नही पता। उन की चुप्पी और समय आने पर अपने विरोधियो पर सोच समझ कर हमला बोलने की अदृभ्त क्षमता ने उन का सियासी मैदान में हमेशा पलडा भारी रखा। सोनिया गॉधी की मजबूत शख्सियत का शायद असली बीजमंत्र ये ही है। ये संयोग ही है की इटली की मदर टैरेसा की तरह ही सोनिया ने भी भारत को अपनी दूसरी जननी माना और पिछले 42 सालो से हर सुख दुख के बावजूद वो भारत की धरती को अपना मानती रही है। सियासी शालीनता और परिपक्वता के मामले में वो आज पं0 जवाहर लाल नेहरू सास इंदिरा और पति राजीव गॉधी से भी कई बार इक्कीस दिखाई पडती है। इस के बावजूद की नेहरू, इंदिरा, और राजीव को घुट्टी में सियासत पिलाई गई थी और काग्रेस भी उस वक्त चुनौती रहित थी आज सोनिया ने अपने बलबुते पर बिखरती काग्रेस को एकजुट बनाये रखने में जबरदस्त कामयाबी हासिल की है। उन परंपरागत मॉओ की तरह जो किसी भी कीमत पर अपना परिवार टूटने नही देती।

इटली मूल, विदेशी धर्म और राजनीतिक अनिच्छा के बावजूद अपनी असाधारण शख्सीयत से करीब 1.2 अरब भारतीयो को प्रभावित करने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गॉधी को अमेरिकी पत्रिका फोब्र्स ने भारत की सब से प्रभावशाली शख्सीयत बताया है। दुनिया के प्रभावशाली लोगो की 2010 की सूची में सोनिया गॉधीे “टॉप 10’’ में शामिल है। आप को याद होगा कि पिछले वर्ष 2009 की समाप्ति पर भी एक ब्रिटिश अखबार ॔फाइनेंशियल टाईम्स’’ ने दुनिया भर की 50 प्रमुख हस्तियों में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती और सोनिया गॉधी का चयन किया था। इस वर्ष अमेरिकी पत्रिका फोब्र्स की सूची में दुनिया के सब से प्रभावशाली 68 लोगो में कुल पॉच भारतीय है। जिन में सोनिया (9) प्रधानमंत्री मनमोहन सिॅह (18) उघोगपति मुकेश अम्बानी (34) रतन टाटा (44) और लक्ष्मी मित्तल (68) का नाम शामिल है। लगभग 150 मुल्खो में अरबो खरबो की आबादी में से सिर्फ 68 लोगो में पॉच भारतीयो का नाम होना हम सब भारतीयो के लिये गर्व की बात होंने के साथ साथ जिन लोगो को अमेरिकी पत्रिका फोब्र्स ने अपनी सूची में शामिल किया है उन सभी भारतीयो के लिये एक बहुत बडी एक उपलब्धि है। वही विदेशी मूल की होने के बावजूद देश का मान सम्मान बाने वाली सोनिया गॉधी 9वा स्थान पाकर देश का गौरव बाने वालो में सब से आगे है। इस उपलब्धि की गरिमा बरकरार रहे इस के लिये सोनियो को देश की अर्थव्यवस्था, एकता अखंडता, और विशोषकर ग्रामीण लोगो के उत्थान के लिये थोडा और सख्त होना पडेगा। क्यो के उन की यह उपलब्धि किसी एक वर्ष कि नही बल्कि पूरे एक दशर्क तक भारतीय लोकतंत्र की रक्षा और उस की गरिमा को बरकरार रखने का ताज उन्हे इस उपलब्धि के रूप में मिला है।

श्रीमति सोनिया गॉधी को अमेरिकी पत्रिका फोब्र्स ने भारत की सब से प्रभावशाली शख्सीयत यू ही नही चुना है। दुनिया के प्रभावशाली लोगो में सोनिया गॉधीे आज “टॉप 10’’ में शामिल है। काग्रेस पार्टी के 125 सालो के इतिहास में करीब 32 वर्ष नेहरूगॉधी परिवार के लोग अध्यक्ष रहे। सोनिया गॉधी लगातार बारह साल तक इस पद पर रहने के बाद अब चार साल के लिये और चुन ली गई है। जब कि नेहरू परिवार से सब से पहले प्रख्यात वकील और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पिता मोती लाल नेहरू 1919 में अध्यक्ष चुने गये थे और 1920 तक वो काग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। तथा 1929 में दोबारा मोती लाल नेहरू जी अध्यक्ष चुने गये और करीब एक वर्ष तक वो पार्टी के अध्यक्ष रहे। इन के बाद पं0 जवाहर लाल नेहरू ने ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन में काग्रेस का पदभार संभाला और 1930, 1936, 1937, 1951, 1953 तथा 1954 में काग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे।

सोनिया गॉधी ने देश के सब से पुराने और आधार वाले राजनीतिक दल कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर सब से अधिक समय तक बने रहने के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और श्रीमति इंदिरा गॉधी सहित नेहरूगॉधी परिवार के सभी रिकॉर्ड तोड दिये है। उन के नेतृत्व में उस काग्रेस में जान पड गई जिसे लोग मृतप्राय समझने लगे थे। केन्द्र में लगातार दो बार सोनिया के नेतृत्व में सरकार बनी और उत्तर प्रदेश जैसे देश के महत्तवपूर्ण राज्य में जहॉ काग्रेस चौथे स्थान पर पहॅूच गई थी वहा लोकसभा चुनाव में काग्रेस दूसरे पायदान पर खडी नजर आई। इस के अलावा बाबरी विध्वंस और विशोष रूप से नरसिम्हा राव के कार्यकाल में बिखरी काग्रेस को एकजुट रखने के साथ साथ देश के विभिन्न सेकुलर दलो से तालमेल कर यूनाईटेड प्रोग्रेसिव एलांइस बना कर पार्टी से विश्वासघात करने वालो को कठोर दण्ड और वफादार को सत्ता में भागीदार बनाकर अपने साथ और पास बिठाकर सोनियो ने खुद को एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में देश के सामने पेश किया। 15 सियासी दलो के जमघट को जोडे रखने और भाजपा सहित तमाम दलो को विपक्ष में बैठने के लिये मजबूर करने में सोनिया पूरी तरह से कामयाब रही है। विपक्ष द्वारा उठाया गया विदेशी मूल का मुद्दा आज पूरी तरह समाप्त हो चूका है सोनिया का सार्वजनिक रूप से मजाक उडाने वाले अमर सिॅह भी आज उन की तारीफो के पुल बांधने को मजबूर है। जिस शरद पवार ने पी ए संगमा के साथ मिलकर कभी सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा पूरे जोर शोर के साथ उठाया था, काग्रेस पार्टी को तोड़ा था ओर उन पर निजी टिप्पणीया की थी वो ही शरद पवार और उन ही संगमा जी का बेटा अगाथा आज सरकार में मंत्री है। सियासत में मौका पडने पर कडवाहट को भूल जाना और संगठन के लिये हमेशा उदार रहना जरूरी होता है सोनिया गॉधी ने इन गुणो को अपने अन्दर बहुत कम समय में उत्पादित किया है। सोनिया गॉधी कई बार कई मामलो में इंदिरा गॉधी से भी ज्यादा ताकतवर और कठोर नजर आती है कभी कभी तो ऐसा लगता है कि पूरे देश की सियासत और सियासी पार्टिया उन की जेब में है। कही से कोई चुनौती नजर ही नही आती

विश्व भर ने सोनिया का लोहा 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद तब माना जब देश के महत्तावपूर्ण प्रधानमंत्री के पद का ताज उन्होने अपने सर से उतार कर डा.मनमोहन सिॅह को पहना दिया। उन के इस त्याग की चारो ओर प्रसंशा होने के साथ साथ लोगो ने उन की तुलना महात्मा गॉधी तक से की। सोनिया को इस मायने में भी इस वक्त की अनोखी नेता कहा जा सकता है। पार्टी की निर्विवाद नेता होते हुए भी वे सरकार की नेता नही बनी प्रधानमंत्री पद मनमोहन सिॅह को सौपने का उन का फैसला सत्ता की लूट में चौकाने वाला था। सोनिया का यह फैसला एक ओर जहॉ सत्ता मोह से दूरी का प्रमाण था वही दूसरी ओर विनम्रता से अपनी सीमाऍ पहचानने के विवेक को भी दशार्ता है। सोनिया के इस फैसले से यकीनन काग्रेस को बहुत ज्यादा मजबूती मिली। आज भारत तेजी से बदल रहा है सरकार के लिये आज चुनौती के रूप में कश्मीर के पत्थरबाज नौजवान, नक्सली हिंसा, देश में बता भष्टाचार, देश के युवाओ को रोजगार के अवसर उपलब्धि कराना, भसमासुर की तरह मुॅह फाडे खडी मंहगॉई जैसी तमाम चुनौतिया सरकार के पाले में है। काग्रेस के सफल नेतृत्व के साथ साथ सोनिया और सोनिया के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन को इन तमाम बातो पर भी सफलता पानी होगी तभी ये सोनिया और यूपीए की कामयाबी होगी वरना ये पब्लिक कब 9 नम्बर से 99 पर ले आये कोई नही कह सकता। किसी शायर ने क्या खूब कहा है।

बुलंदियो पे पहुॅचना कोई कमाल नही

बुलंदियो पे ठहरना कमाल होता है।