शिव की नगरी सिवनी भी शिव के समान है…

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shiv3_fullफोर लेन में भी दिखी हरवंश नरेश नूरा कुश्ती-जिले से होकर गुजरने वाले उत्तार दक्षिण कॉरीडोर का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। राजनैतिक रूप से बहुचर्चित इस मामले में अब हस्तक्षेप कर्त्ता के रूप में एक आवेदन लग गया हैं। यह आवेदन पत्रकार अशोक आहूजा एवं अन्य के नाम से पेश हुआ हैं जिसमें जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री हीरा आसवानी और सिवनी के पूर्व भाजपा विधायक नरेश दिवाकर आवेदक हैं। जिले के होनहार अधिवक्ता शैलेष आहूजा ने उक्त आवेदन पेश किया हैं। सुप्रीम कोर्ट में जन मंच के अधिवक्ता प्रशांत भूषण के तर्कों के आधार पर माननीय न्यायालय ने सी.ई.सी. और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निर्देश दिये हैं कि वे एलीवेटेट हॉई वे पर एक राय कायम करें। हाल ही में हुई 9 अक्टूबर की पेशी इसलिये बढ़ गयी हैं कि दोनों के बीच मंत्रणा पूरी नहीं हो पायी हैं। अब आगामी 30 तारीख को फिर सुनवायी होगी जिसमें मामला निपटने की संभावना न्यायायिक क्षेत्रों में व्यक्त की जा रही हैं। इस दौर में प्रस्तुत इस आवेदन ने जिले के राजनैतिक क्षेत्रों में एक नयी चर्चा शुरू कर दी हैं। वैसे तो जिले में हरवंश नरेश नूरा कुश्ती के किस्से कोई नये नहीं हैं। पिछले दस सालों से यदा कदा कोई ना कोई राजनैतिक कारनामा लोग देखते ही रहे हैं। इस आवेदन पर भी राजनैतिक विश्लेषकों की राय कुछ अलग नहीं हैं। जनता की अदालत में ना तो हरवंश निर्दोष हैं और ना ही नरेश। जिन दिनों इस मामले को उलझाने की नींव रखी गयी थी दोनों ही जिले का प्रतिनिधित्व कर रहें थे। जहां मंत्री विहीन जिले में नरेश प्रदेश सरकार में गहरा दखल रखते थे तो हरवंश केन्द्र सरकार में। राज्य सकार के वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने इस परियोजना के सुझावों को मंजूरी नहीं दी थी और इसी कारण केन्द्रीय बोर्ड ने भी स्वीकार नहीं किया था। अब जब जन दवाब के कारण मामला जब पक्ष में आने की उम्मीद हो गयी तो कोई प्रतिनिधिमंड़ल ले जाकर दिल्ली में मिलवा रहा हैं तो कोई भोपाल में मुख्यमंत्री से मिल रहा हैं और कोर्ट में तो नरेश और हीरा के नाम से आवेदन लगा कर दोनों ने ही हद कर दी हैं।

शिव की नगरी से खिलवाड़ ना करे के.डी.भाऊ-सिवनी को शिव की नगरी कहा जाता हैं। भगवान शिव के बारे में कहा जाता हैं कि वे बहुत ही जल्दी संतुष्ट होकर वरदान देने वाले देवता हैं। लेकिन अति होने उनका तीसरा नेत्र ऐसा विध्वंस भी करता हैं कि लोग याद करते रह जाते हैं। कुछ यही अंदाज जिले के लोगों का भी हैं। जिसको देते हैं तो भरपूर देते हैं और नाराजगी बताते हैं तो देखने वाले भी देखते ही रह जाते हैं। अभी हाल ही में विधायक रनिंग शील्ड के आयोजन के बाद भाजपा सांसद के. डी. देखमुख के सिवनी के नागरिकों को दिवाली की बधायी देने वाले फोटो युक्त पोस्टर जगह जगह टंगे दिखायी दिये। चुनाव के दो दिन पहले अखबारों में विज्ञापन के रूप में के.डी.भाऊ का जो संकल्प पत्र छपा था कि यदि वो जीत गये तो क्षेत्र के लिये क्या क्या करेंगें इसमें शिव की नगरी सिवनी जिले का नाम ही नहीं था। फिर जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों सिवनी और बरघाट से उन्हें लोगों ने भारी जीत दिलायी लेकिन उसके बाद फोर लेन कॉरीडोर जिले से छिनने का जो कहर बरपा उसमें के.डी. भाऊ खरे नहीं उतरे। अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री से मिलने में उन्होंने एक महीने से अधिक समय लगा दिया और मिलने के बाद भी कलक्टर के उस आदेश को निरस्त नहीं करा पाये जिस अवैधानिक आदेश के कारण फोर लेन का काम रुका पड़ा था। ऐसे में दीपावली की उनकीे बधायी भला जिले वासी कैसे स्वीकार कर सकते हैं।जिले का इतिहास इस बात का गवाह है कि राजनैतिक सूरमाओं को सिर पर बैठाने वाले इस जिले में अति होने पर धूल भी चटायी हैं। जिले में कुछ भस्मासुर भले ही शिव का वरदान लेकर अपने आप को अजर अमर समझने लगे लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिये कि कुपात्र को दिये गये वरदान से जगत को मुक्ति भी तांड़व नृत्य करके भगवान शिव ने ही दिलायी थी।

क्या कमलनाथ के इशारे पर हरवंश से परहेज किया आयोजकों ने- प्रधानमंत्री स्वर्णिम चर्तुभुज ऐक्सप्रेस हाई के तहत उत्तार दक्षिण गलयारे के तहत सिवनी से गुजरने वाले फोर लेन रोड़ को जब छिंदवाड़ा से ले जाने की साजिश का खुलासा हुआ तो ऐसा जनाक्रोष सड़को पर दिखायी दिया कि जन प्रतिनिधियों के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गयी। केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमलनाथ के सरे आम लोगों ने पुतले जलाये और अर्थी तक निकाल दी। आज मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं जिसमें जन मंच के अलावा अन्य लोगों ने हस्तक्षेपकत्तर्ाा के रूप में आवेदन पेश कर दिये हैं। जनमंच के आव्हान पर हुये इस ऐतिहासिक बंद के बाद 13 अक्टूबर को केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ और रेल मंत्री ममता बेनर्जी के प्रतिनिधि के रूप में केन्द्रीय मंत्री सौगात राय ने छिंदवाड़ा आकर झांसी ट्रेन को हरी झंड़ी दिखायी। इस कार्यक्रम में जबलपुर संभाग के कमलनाथ समर्थक कई इंका विधायक शामिल हुये लेकिन इनमें जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह अनुपस्थ्िति सियासी हल्कों में चर्चा का विषय बन गयी हैं। छिंदवाड़ा में ऐसा कोई कार्यक्रम हो और उसमें हरवंश सिंह सक्रिय ना हों ऐसा पहले कम ही देखा गया है। राजनैतिक क्षेत्रों में व्याप्त चर्चा के अनुसार कमलनाथ इस बात से हरवंश सिंह से खफा हैं कि उन्होंने वस्तु स्थिति की जानकारी उन्हें ना देकर गुमराह किया। हरवंश सिंह ने इस मामले में बार कमलनाथ से ना केवल मांग की वरन अखबारों में यह छपवा कर कि कमलनाथ जिले के साथ अन्याय नहीं होने देंगें और जिले का हक नहीं छिनने देंगें। चूंकि मामला छिंदवाड़ा से जुड़ा था इसलिये हरवंश सिंह की इस अखबार बाजी से जिले के लोगों के मन में यह धारण्ाा मजबूत होने लगी कि फोर लेन के मामले के विलन कमलनाथ ही हैं। पहले भी हरवंश सिंह ने अपने आर्थिक हित साधने के लिये बेनर्जी कंपनी की घटिया बायपास को इस कॉरीडोर का हिस्सा बनाने के मिशन में कमलनाथ का सहारा लिया था।इसी का यह परिणाम हुआ कि तीस सालों में पहली बार जबलपुर संभाग के किसी जिले में कमलनाथ का इतना उग्र विरोध हुआ हो कि उनके ना केवल दर्जनों पुतले जलाये गये वरन आक्रोशित भीड़ ने अर्थी तक निकाल डाली। उनके प्रभाव क्षेत्र में ऐसा उग्र विरोध होने से उनकी राजनैतिक साख को धक्का लगा हैं इसीलिये आयोजकों ने शायद कमलनाथ के इशारे पर हरवंश सिंह से इस कार्यक्रम में परहेज किया। वास्तविकता चाहे जो भी हो लेकिन हरवंश सिंह की इस गैर हाजिरी के दूरगामी परिणाम निकलने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। ”मुसाफिर”

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