कविता
मेरी आँखों के सामने अब कोई अँधेरा नही,
by प्रवक्ता ब्यूरो
लेखक : बबली सिंह मेरी आँखों के सामने अब कोई अँधेरा नही, कि हर धूल मैंने झाड़ दी है अब, मुझे अब अपने दर्द की नुमाइश भी नही करनी, कि हर मर्ज़ की दवा ढूंढ़ ली है अब, हाँ मुझे देखते है लोग भरी बाज़ारों में, सड़कों पे,गाड़ियों में, देखते नही घूरते है, हाँ! तो […]
Read more »