कविता अक्सर … September 7, 2017 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment बारिशो के मौसम में ; यूँ ही पानी की तेज बरसाती बौछारों में ; मैं अपना हाथ बढाता हूँ कि तुम थाम लो , पर सिर्फ तुम्हारी यादो की बूंदे ही ; मेरी हथेली पर तेरा नाम लिख जाती है .. ! और फिर गले में कुछ गीला सा अटक जाता है ; जो पिछली बारिश की याद दिलाता है , जो […] Read more » अक्सर