व्यंग्य साहित्य अथ श्री आलोचक कथा May 24, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment वे आलोचक है, अभी से नहीं, तभी से, मतलब जब से उनके धरती पर अवतरित होने की दुर्घटना हुई थी तब से। यहाँ तक की उन्होंने अपने अवतरित होने की भी आलोचना कर दी थी। वो आलोचना खाते, पीते, ओढ़ते और बिछाते है। उनकी रग- रग में आलोचना समाई हुई है। वो कर्मयोगी भी है, […] Read more » Featured अथ श्री आलोचक कथा