कविता अधरों की हंसी हो या January 14, 2014 / January 14, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment मौन! अधरों की हंसी हो या आंखों से आंसू हों, आंखों से आंखों की बात होती है, क्योंकि, मौन की भी एक निराली भाषा होती है! जब कोई तस्वीर सामने होती है, बिना मिले ही उनसे बात होती है, कभी मु्स्कान या नमी आंखों में होती है, बिन कहे ही मन से मन की बात […] Read more » poem अंधरों की हंसी हो या अधरों की हंसी हो या