चिंतन अन्तर्मुखी भले रहें अन्तर्दुखी न रहें November 10, 2012 / November 9, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on अन्तर्मुखी भले रहें अन्तर्दुखी न रहें डॉ. दीपक आचार्य लोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। अन्तर्मुखी और बहिर्मुखी। बहिर्मुखी लोगों के दिल और दिमाग की खिड़कियाँ बाहर की ओर खुली रहती हैं जबकि अन्तर्मुखी प्रवृत्ति वाले लोगों के मन-मस्तिष्क की खिड़कियां और दरवाजे अन्दर की ओर खुले रहते हैं। आम तौर पर अन्तर्मुखी लोेगों को रहस्यमयी और अनुदार […] Read more » अन्तर्दुखी न रहें अन्तर्मुखी रहें