राजनीति अन्ना की माला के बिखरते मोती October 31, 2011 / December 5, 2011 by डॉ0 शशि तिवारी डॉ. शशि तिवारी जीवन के तट पर कर्मों की ऊर्जा की लहरों के निरंतर टकराहट से ही जीवन स्पंदित होता रहता है, क्रियाशील रहता है, कर्म ही जीवन की ऊर्जा एवं शक्ति है और जहां शक्ति होती है वहां कर्म होता है। नियंगित एवं दिशायुक्त शक्ति ही लक्ष्य को भेद सकती है। जरा सा भटकाव, […] Read more » Anna Hazare अन्ना की माला के बिखरते मोती