साहित्य स्त्री आत्मकथा का लक्ष्य है न्याय की तलाश May 15, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment -जगदीश्वर चतुर्वेदी ‘अन्या से अनन्या’ का मूल स्वर स्त्रीवादी है। स्त्रीवाद का लक्ष्य आत्मसंतोष या आनंद देना नहीं है बल्कि उसका लक्ष्य है न्याय। प्रभा की आत्मकथा इसी अर्थ में न्याय की तलाश में किया गया एक प्रयास है। इस किताब में अन्याय के कई रूप हैं, अनेक चरित्र हैं जो अन्याय से पीड़ित हैं, […] Read more » Woman अन्या से अनन्या प्रभाखेतान
पुस्तक समीक्षा स्त्री आत्मकथा के अनुत्तरित सवाल May 15, 2010 / May 15, 2010 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on स्त्री आत्मकथा के अनुत्तरित सवाल -जगदीश्वर चतुर्वेदी हिन्दी का साहित्य संसार करवट बदल रहा है, धड़ाधड़ हिन्दी लेखिकाएं अपनी आत्मकथा लिख रही हैं, कहीं ये कथाएं अंशों में आ रही हैं तो कहीं किताब के रूप में। यह हिन्दी की नयी बदलती स्थिति है। हिन्दी में स्त्री आत्मकथा का लंबे समय से अभाव रहा है। हिन्दी के आलोचकों के लिए […] Read more » अन्या से अनन्या प्रभाखेतान