गजल अपनी ग़ज़ल समाज का तू आईना बना….. September 4, 2012 / September 4, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on अपनी ग़ज़ल समाज का तू आईना बना….. इक़बाल हिंदुस्तानी वो शख़्स है मक्कार कहूं या ना कहूं मैं, छिपकर करेगा वार कहूं या ना कहूं मैं। रोटी ना अमन चैन पढ़ाई ना दवाई, ग़ायब सी है सरकार कहूं या ना कहूं मैं । जिसने हमारे बीच में दीवार खड़ी की, होगा ही बहिष्कार कहूं या ना कहूं मैं। ताक़त […] Read more » अपनी ग़ज़ल समाज का तू आईना बना.....