गजल साहित्य अब पहले वाली कोई बात न रही ! November 11, 2016 / November 11, 2016 by मनीष कुमार सिंह | Leave a Comment बस इतना इल्म कर लो अंधेरें के रहनुमाओं ! आफताब के आने पर कोई रात न रही !! ऐतबार किस पर करें इस शहर में हम 'मनीष' ! आदमी अब भरोसे वाली जात न रही !! Read more » अब पहले वाली कोई बात न रही !