शख्सियत समाज अराजनीतिक गांधी की अराजकता October 2, 2013 by ब्रह्मदीप अलुने | 1 Comment on अराजनीतिक गांधी की अराजकता प्रो.ब्रह्मदीप अलूने नेहरू ने दिसम्बर 1928 मे कलकत्ता अधिवेशन मे कहां था , ‘‘बापू,मेरे और आपके मध्य अंतर यह है कि आप धीमी गति मे विश्वास करते है जबकि मेरा लक्ष्य क्रांति है ।’’ गांधी का व्यंग्यात्मक उत्तर था ,‘‘मेरे तरूण, मैने क्रांति को पैदा किया है ,जबकि अन्यों ने केवल उसका शोर मचाया है […] Read more » अराजनीतिक गांधी की अराजकता