कविता साहित्य जिन आँखों के तारे थे हम उन आँखों में पानी है ! September 8, 2017 by राकेश कुमार सिंह | Leave a Comment जिन आँखों के तारे थे हम उन आँखों में पानी है ! सुलगते हुये रिस्तो की सच्ची यही कहानी है ! जरा सी चोट लगी जब हमको माँ कितना रोई थी ! सूखे में हमें सुलाया खुद गीले में सोई थी ! ऐसी माँ की क़द्र ना करना क्या बात नहीं बेईमानी है ! सुबह […] Read more » आँखों के तारे