समाज ‘आम आदमी’ अब एक नजरिया और नजरिये जल्द नहीं मरते January 10, 2014 / January 11, 2014 by अरुण कान्त शुक्ला | Leave a Comment हर तरफ, हर जगह, हर नुक्कड़ पर, कॉफ़ी हाउस या फिर चाय ठेले पर चुस्कियों के साथ चर्चा सिर्फ आम आदमी पार्टी की| आखिर क्या है इसमें जो दूसरे को बिन डोर खींचे चला जा रहा है| ज़रा सोचिये और अपने मानस पटल पर ज़ोर दीजिये, कहीं मैं कोई सुबह का सपना तो नहीं देख रहा हूं ? कृपया नोट करें सुबह का सपना सत्य माना जाता […] Read more » ‘आम आदमी’ अब एक नजरिया और नजरिये जल्द नहीं मरते AAP