Tag: आर्यसमाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य

धर्म-अध्यात्म

प्रमुख वैश्विक संस्था आर्यसमाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य व इसके उपयोगी राष्ट्रहितकारी कार्य

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आर्यसमाज की स्थापना वेद प्रचार अर्थात् सत्य ज्ञान के प्रचार के लिए की गई थी जिससे देश व संसार के सभी मानवों का कल्याण हो। ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज के दस नियम सूत्र बद्ध किये हैं। इनका उल्लेख कर देना उचित प्रतीत होता है। पहला नियम है ‘सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उनका आदि मूल परिमेश्वर है।’ दूसरा नियम: ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकत्र्ता है।

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