कविता आ लौट के आजा भारत मां के खून July 30, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक आ लौट के आजा भारत मां के खून कि तुम फैले हुए हो काबुल से रंगून, तुम सगे भाई हो जैसे हिन्दू शक हूण! तुम भ्रमित होकर अपने में देखते गैर भारतीय, अरबी कबीले का गुण, तुम नहीं हो अरब के कबिलाई मूल, तुम हो बृहदतर भारत के हिन्दू कुल! इस तथ्य […] Read more » आ लौट के आजा भारत मां के खून