आलोचना उत्तर आधुनिकतावाद के विभ्रम और अस्मिता November 21, 2010 / December 19, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment -जगदीश्वर चतुर्वेदी इन दिनों वास्तव और अवास्तव, व्यक्ति और अव्यक्ति, जीवन और मृत्यु, उपस्थित और अनुपस्थित आदि के बारे में सवाल नहीं किए जाते। जो कुछ भी कहा जाता है वह खास सीमा में रहकर ही कहा जाता है। इसी प्रसंग में देरिदा की प्रसिद्ध किताब ‘स्पेक्टेटर ऑफ मार्क्स’ का जिक्र करना समीचीन होगा। इस […] Read more » modernism उत्तर आधुनिकतावाद
आलोचना उत्तर आधुनिकतावाद क्या है? July 1, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 2 Comments on उत्तर आधुनिकतावाद क्या है? -जगदीश्वर चतुर्वेदी उत्तर-आधुनिकतावाद को वृद्ध पूंजीवाद की सन्तान माना जाता है। पूंजीवाद के इजारेदाराना दौर में तकनीकी प्रोन्नति को इसका प्रमुख कारक माना जाता है। विश्व स्तर पर साम्राज्यवादी दखलंदाजी के बढने के बाद से आर्थिकतौर पर अमरीकी प्रशासन की दुनिया में दादागिरी बढी है। इसके अलावा जनमाध्यमों; संस्कृति; सूचना प्रौद्योगिकी, और विज्ञापन की दुनिया […] Read more » North Modernism उत्तर आधुनिकतावाद