राजनीति उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है। July 18, 2020 / July 18, 2020 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment आज हम उस समाज में जी रहे हैं जिसे अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन करने में महारत हासिल है। वो समाज जो एकतरफ अपने उदारवादी होने का ढोंग करता है, महिला अधिकारों, मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बड़े बड़े आंदोलन और बड़ी बड़ी बातें करता है लेकिन जब इन्हीं अधिकारों का […] Read more » The curtain has begun to rise from the selective libralism of liberals. उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म सिलेक्टिव लिब्रलिस्म