कविता उसे नारी हैं कहे January 16, 2014 / January 16, 2014 by अश्वनी कुमार | Leave a Comment जहां है त्याग, समर्पण, जहां है धैर्य बेहिसाब यही है रूप-ओ-नारी, जिसे आता है यहां प्यार कभी मां-बाप, कभी भाई, कभी पति-बेटा सहे विरोध है सबका, न करती कोई आवाज़ न जाने कब से सह रही थी जुल्मों सितम को जो लड़े हक की लड़ाई उसे मलाला कहें कभी सती, कभी पर्दा कभी रिवाजे-ए-दहेज़ ये […] Read more » poem उसे नारी हैं कहे