कविता करवाचौथ पर मेरे पति October 26, 2018 / October 26, 2018 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on करवाचौथ पर मेरे पति भला है,बुरा है,मेरा पति मेरा सुहाग मेरा ख़िताब तो है भले ही पन्ने पुराने हो, वो मेरे दिल की किताब तो है क्यों निहारु दूर के चाँद को,जब मेरा चाँद मेरे पास है करता है मेरी पूरी तमन्ना,यही मेरे जीवन की आस है ये चंदा तो रोज घटता बढ़ता,कभी छुप जाता है आकाश में मेरा […] Read more » करवांचौथ पर मेरे पति