भला है,बुरा है,मेरा पति मेरा सुहाग मेरा ख़िताब तो है
भले ही पन्ने पुराने हो, वो मेरे दिल की किताब तो है
क्यों निहारु दूर के चाँद को,जब मेरा चाँद मेरे पास है
करता है मेरी पूरी तमन्ना,यही मेरे जीवन की आस है
ये चंदा तो रोज घटता बढ़ता,कभी छुप जाता है आकाश में
मेरा चंदा मेरे पास रहता,कभी न जाता किसी के आगोश में
सिन्दूर भी मेरा,बिछ्वे भी मेरे,चूड़ियों की खनकार भी है
मंगल सूत्र भी मेरा,बिंदिया भी मेरी,पायल की झंकार भी है
कहने को कही जाती है,करवांचौथ में एक पूरानी कहानी
पर अबकी बार सुनी है,कारवाँचौथ में मी टू की नई कहानी
रखती है अब तो करवांचौथ का व्रत नई पीढ़ी की बिन ब्याही भी
बयूटी पार्लर में जाकर सुहागन बनकर आ रही है गर्ल फ्रेंड भी
समय बदल रहा,त्योहारों बदल रहे सुनते है एक अजीब कहानी
रख रही हूँ मै तो व्रत उनके लिये जिसके साथ बिता रही जवानी
आर के रस्तोगी
डॉ. मधुसुदन जी ,
नमस्कार, प्रंशसा के लिये धन्यवाद |आप भारत कब आ रहे है | मै गुडगाव रहता हूँ जो की इन्द्रा गाँधी एअरपोर्ट के बहुत ही पास है |जब कभी भारत आये तो मै आपको एयर पोर्ट नई देहली पर रिसीव कर लूँगा |
भवदीय आपका
आर के रस्तोगी
Rastogi ji……
Bahut Sundar. Kya kahun?