लेख कर्मण्येवाधिकारस्ते August 6, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment आचार्य राधेश्याम द्विवेदी कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ॥ श्रीमद् भगवत गीता के अध्याय दो के 47वें श्लोक का अर्थ होता है कि कर्तव्य कर्म करने में ही तेरा अधिकार है फलों में कभी नहीं. अतः तू कर्मफल का हेतु भी मत बन और तेरी अकर्मण्यता में भी आसक्ति न हो. इस […] Read more » कर्मण्येवाधिकारस्ते