कविता साहित्य कलयुगी कन्हैया March 14, 2016 by शकुन्तला बहादुर | 3 Comments on कलयुगी कन्हैया नाम “कन्हैया” पाकर समझा, मैं हूँ कृष्णकन्हैया । नहीं समझ पाया ले डूबेगा , निज जीवन-नैया ।। ” कान्हा ने जब उठा लिया था, गोवर्धन पर्वत को । मैं भी अब उखाड़ फेकूँगा ,इस मोदी शासन को ।।” जैसे क्षमा किये कान्हा ने , दुष्ट वचन शिशुपाल के । मोदी भी हैं क्षमा कर रहे, […] Read more » Poem by Shakuntala Bahadur poem on kanhaiya kumar JNU कन्हैया कलयुगी कन्हैया