कविता कविता – असल में October 9, 2012 / October 9, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल हमने समय की क्रूरता देखी देखी आदमी की गति समय के गति से भागते हुए । अगली तारीख में रोटियां गर्म नहीं हो पाएगी और जश्न मनाने की शैलियों में धूप सिरे से गायब हो जाएंगें बचे रह जाएंगें सिद्धान्त-शून्यता और अंत का बेअंत समय विश्व बैँक में खुले मिलेगें । विचार […] Read more » कविता - असल में