कविता – असल में

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मोतीलाल

हमने समय की क्रूरता देखी

देखी आदमी की गति

समय के गति से भागते हुए ।

 

अगली तारीख में

रोटियां गर्म नहीं हो पाएगी

और जश्न मनाने की शैलियों में

धूप सिरे से गायब हो जाएंगें

बचे रह जाएंगें सिद्धान्त-शून्यता

और अंत का बेअंत समय

विश्व बैँक में खुले मिलेगें ।

 

विचार पनपने की जरुरत

कहीं टंडीलों के बोझ में दबी है

कहीं चूल्हे की आँच में

और जागने का उपक्रम

कहीं नहीं खोजे जा रहे हैं

असल में हम

प्रतीक्षासूची की एक संख्या मात्र हैं ।

 

जोर तुफान का

और फूल की पीड़ा

अब ऊँचे दर्जे का फैशन है

चीजों को देखने से कहीं ज्यादा

कुचलने का आनंद

इस सदी की बड़ी देन है ।

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मोतीलाल
जन्म - 08.12.1962 शिक्षा - बीए. राँची विश्वविद्यालय । संप्रति - भारतीय रेल सेवा में कार्यरत । प्रकाशन - देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं लगभग 200 कविताएँ प्रकाशित यथा - गगनांचल, भाषा, साक्ष्य, मधुमति, अक्षरपर्व, तेवर, संदर्श, संवेद, अभिनव कदम, अलाव, आशय, पाठ, प्रसंग, बया, देशज, अक्षरा, साक्षात्कार, प्रेरणा, लोकमत, राजस्थान पत्रिका, हिन्दुस्तान, प्रभातखबर, नवज्योति, जनसत्ता, भास्कर आदि । मराठी में कुछ कविताएँ अनुदित । इप्टा से जुड़ाव । संपर्क - विद्युत लोको शेड, बंडामुंडा राउरकेला - 770032 ओडिशा

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