कविता गजल-श्यामल सुमन- इंसानियत April 13, 2012 / April 14, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन इंसानियत ही मज़हब सबको बताते हैं देते हैं दग़ा आकर इनायत जताते हैं उसने जो पूछा हमसे क्या हाल चाल है लाखों हैं बोझ ग़म के पर मुसकुराते हैं मजबूरियों से मेरी उनकी निकल पड़ी लेकर के कुछ न कुछ फिर रस्ता दिखाते हैं खाकर के सूखी रोटी लहू बूँद […] Read more » poem Poems कविता कविता इंसानियत