कविता कविता-टिमकी बजी मदारी की-प्रभुदयाल श्रीवास्तव May 8, 2012 / May 8, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment वाहन पंचर हुआ,लिये मैं सड़क सड़क घूमा टिमकी बजी मदारी की मैं बंदर सा झूमा कहीं दूर तक पंचरवाला नहीं दिखाई दिया हर दुकान पर अतिक्रमण का ताला मिला जड़ा जीवन के हर लम्हें में कितने पंचर होते अपने कटे फटेपन को पल पल कंधे ढोते सूजे पैर फूल गये जैसे फूल गया तूमा […] Read more » poem by Prabhudayal Srivastav कविता-टिमकी बजी मदारी की-प्रभुदयाल श्रीवास्तव