कविता साहित्य कविता ; भाई से प्रतिघात करो – श्यामल सुमन April 28, 2012 / April 28, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन मजबूरी का नाम न लो मजबूरों से काम न लो वक्त का पहिया घूम रहा है व्यर्थ कोई इल्जाम न लो धर्म, जगत – श्रृंगार है पर कुछ का व्यापार है धर्म सामने पर पीछे में मचा हुआ व्यभिचार है क्या जीना आसान है नीति नियम भगवान है न्याय कहाँ नैसर्गिक […] Read more » poem Poems कविता कविता भाई से प्रतिघात करो