कविता व्यंग्य साहित्य व्यंग्य कविता ; काम वालियां – प्रभुदयाल श्रीवास्तव January 30, 2012 / January 29, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment काम वालियां नहीं कामपर बर्तन वाली दो दिन से आई इसी बात पर पति देव पर पत्नि चिल्लाई काम वालियां कभी समय पर अब न आ पातीं न ही ना आने का कारण खुलकर बतलातीं बिना बाइयों के घर तो कूड़ाघर हो जाता बड़ी देर से कठिनाई से सूर्य निकल पाता छोटी बच्ची गिरी फिसल […] Read more » poem vyangya काम वालियां व्यंग्य कविता