व्यंग्य साहित्य किताब तो छप गई मगर …………. October 27, 2016 by बीनू भटनागर | Leave a Comment अब हमें कुछ किताबें अपने नज़दीकी रिश्तेदारों को भेजनी थीं, साहित्य जगत के उन वरिष्ठ लोगों को उपहार में भेजनी थीं जो हमें प्रोत्सहन देते रहे थे या फिर वो जिनके लेखन से हम प्रभावित थे, जिन्हे हमने किताबें भेजी उनमें से कुछ ने अतिरिक्त किताबों की मांग की तो हमने साफ़ कह दिया कि अतिरिक्त किताब तो उन्हे हमसे ख़रीदनी होगी।अब हमे ढेरों किताबें कोरियर से भेजनी थीं उपहार वाली भी और ख़रीद वाली भी। Read more » किताब तो छप गई मगर .............