कविता कुबड़ी आधुनिकता January 9, 2014 / January 9, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -दीप्ति शर्मा- मेरा शहर खांस रहा है सुगबुगाता हुआ कांप रहा है सडांध मारती नालियां चिमनियों से उड़ता धुआं और झुकी हुयी पेड़ों की टहनियां सलामी दे रहीं हैं शहर के कूबड़ पर सरकती गाड़ियों को, और वहीं इमारत की ऊपरी मंजिल से कांच की खिड़की से झांकती एक लड़की किताबों में छपी बैलगाड़ियां देख […] Read more » poem कुबड़ी आधुनिकता