कविता कविता ; खबरों की अब यही खबर है – श्यामल सुमन April 29, 2012 / April 30, 2012 by श्यामल सुमन | 1 Comment on कविता ; खबरों की अब यही खबर है – श्यामल सुमन श्यामल सुमन देश की हालत बुरी अगर है संसद की भी कहाँ नजर है सूर्खी में प्रायोजित घटना खबरों की अब यही खबर है खुली आँख से सपना देखो कौन जगत में अपना देखो पहले तोप मुक़ाबिल था, अब अखबारों का छपना देखो चौबीस घंटे समाचार क्यों सुनते उसको बार बार क्यों इस […] Read more » poem Poems कविता खबरों की अब यही खबर है कविता