कविता
घर-घर दुःशासन खड़े
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
चीरहरण को देख कर,दरबारी सब मौन !प्रश्न करे अँधराज पर,विदुर बने वो कौन !!★★★राम राज के नाम पर,कैसे हुए सुधार !घर-घर दुःशासन खड़े,रावण है हर द्वार !!★★★कदम-कदम पर हैं खड़े,लपलप करे सियार !जाये तो जाये कहाँ,हर बेटी लाचार !!★★★बची कहाँ है आजकल,लाज-धर्म की डोर !पल-पल लुटती बेटियां,कैसा कलयुग घोर !!★★★वक्त बदलता दे रहा,कैसे- कैसे घाव […]
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