व्यंग्य साहित्य बैंकों का घुमावदार सीढ़ियां … !! March 8, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा तब तक शायद बैंकों का राष्ट्रीयकरण नहीं हुआ था। बचपन के बैक बाल मन में भारी कौतूहल और जिज्ञासा का केंद्र होते थे। अपने क्षेत्र में बैंक का बोर्ड देख मैं सोच में पड़ जाता था कि आखिर यह है क्या बला। बैंकों की सारी प्रक्रिया मुझे अबूझ और रहस्यमय लगती। समझ […] Read more » Curved stairs of banks ... !! Featured घुमावदार सीढ़ियां बैंक बैंकों का घुमावदार सीढ़ियां