धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-५ August 9, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on श्रीमद्भगद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-५ विपिन किशोर सिन्हा छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों को जब कोई पुष्ट आरोप समझ में नहीं आता, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा द्वारा किए गए अच्छे कार्यों को भी सांप्रदायिक करार देकर अपना कर्त्तव्यपालन कर लेते हैं। अब तो बिना कुछ किए भी संघ को समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों में आवश्यकता से अधिक कवरेज प्राप्त होने […] Read more » Srimadbhagwat Gita छद्मधर्मनिरपेक्ष श्रीमद्भगद्गीता
धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगवद्गीता और छद्मधर्मनिरपेक्षवादी : चर्चा-३ August 7, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा प्रवक्ता में इसी सप्ताह एक लंबे लेख में एक निरंकुश लेखक ने गीता के एक श्लोक को उद्धरित करते हुए टिप्पणी लिखी है — “इस श्लोक का हिन्दी अनुवाद हिन्दुओं में आदरणीय मानेजाने वाले विद्वान आदि शंकर ने आठवीं शताब्दी में इस प्रकार किया है –” लेखक के अज्ञान पर रोना आता […] Read more » Srimadbhagwat Gita छद्मधर्मनिरपेक्ष श्रीमद्भगवद्गीता