राजनीति जन-मन के बिना ‘गण’तंत्र एक त्रासद विडम्बना January 27, 2021 / January 27, 2021 by मनोज ज्वाला | 1 Comment on जन-मन के बिना ‘गण’तंत्र एक त्रासद विडम्बना मनोज ज्वालाहमारे राष्ट्र-गान में ‘जन-मन’ के बीच में है ‘गण’ । शब्दों के इसक्रम के अपने विशेष निहितार्थ हैं । जन अर्थात जनता को अभिव्यक्त करनेवाला व्यक्ति तथा गण अर्थात व्यक्तियों के संगठन-समूह अथवा उनकेप्रतिनिधि और मन अर्थात इच्छा या पसंद । “ जन-गण-मन अधिनायक जय हे ”अर्थात , जनता के संगठन-सामूह को भाने वाले […] Read more » जन-मन के बिना ‘गण’तंत्र
राजनीति जन-मन के बिना ‘गण’तंत्र ; अनर्थकारी षड्यंत्र January 27, 2017 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment मनोज ज्वाला हमारे राष्ट्र-गान में ‘जन-मन’ के बीच में है ‘गण’ । शब्दों के इस क्रम के अपने विशेष निहितार्थ हैं । जन अर्थात जनता को अभिव्यक्त करने वाला व्यक्ति तथा गण अर्थात व्यक्तियों के संगठन-समूह अथवा उनके प्रतिनिधि और मन अर्थात इच्छा या पसंद । “ जन-गण-मन अधिनायक जय हे ” अर्थात , जनता […] Read more » अनर्थकारी षड्यंत्र जन-मन के बिना ‘गण’तंत्र