मनोज ज्वाला
* लेखन- वर्ष १९८७ से पत्रकारिता व साहित्य में सक्रिय, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं से सम्बद्ध । समाचार-विश्लेषण , हास्य-व्यंग्य , कविता-कहानी , एकांकी-नाटक , उपन्यास-धारावाहिक , समीक्षा-समालोचना , सम्पादन-निर्देशन आदि विविध विधाओं में सक्रिय ।
* सम्बन्ध-सरोकार- अखिल भारतीय साहित्य परिषद और भारत-तिब्बत सहयोग मंच की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ।
जन-मन के बिना ‘गण’तंत्र एक त्रासद विडम्बना
मनोज ज्वालाहमारे राष्ट्र-गान में ‘जन-मन’ के बीच में है ‘गण’ । शब्दों के इसक्रम के…
कांग्रेस और पाकिस्तान का ‘संघ-विरोध’ एक समान
मनोज ज्वालाभाजपा के हाथों भारत की केन्द्रीय सत्ता से बेदखल हो चुकी कांग्रेसअपनी इस बदहाली…
आयुर्वेद में सर्जन
भारत के पुनरुत्थान की ओर सरकार के बढते कदम खबर है कि…
कोरोना त्रासदी और भारतीय ज्ञान-विज्ञान को नकारने की गलती.
मनोज ज्वाला कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में अभीतक दवा की…
धर्म को कोसने से पहले धार्मिकता को समझें
मनोज ज्वाला कॉरोना संक्रमण के बढ़ते विस्तार के साथ बौद्धिक वैचारिक विवाद भी बढ़ता जा…
सनातन जीवन शैली को वैश्विक स्वीकृति दिलाती विपत्ति
-मनोज ज्वाला लगभग सारी दुनिया चीन से निकले ‘कोरोना वायरस’ की चपेट आ चुकी है।…