कविता
जिंदगी बेहाल है, बहुत बुरा हाल है
/ by अशोक बजाज
यह कोरोना काल है, दुनिया में भूचाल है,घर से बाहर ना निकलें, जी का जंजाल है।पर किसने किसकी मानी है, घर में रहने की ठानी है,जब फैल गया कोरोना तो, हर बस्ती में वीरानी है।चारों ओर हाहाकार है, मरीजों की चीत्कार है,दवा नहीं बनेगी, तब तक डॉक्टर भी लाचार हैं।सूना सूना बाज़ार है, ऑनलाइन व्यापार […]
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