समाज आपका व्यवहार और जीवन दृष्टि August 26, 2010 / December 22, 2011 by तरुण विजय | 3 Comments on आपका व्यवहार और जीवन दृष्टि -तरुण विजय बहुत आसान है वेद, पुराण, मनुस्मृति और अन्य शास्त्रीय ग्रंथ उठाकर सामने रखना और कहना कि इनमें कहीं भी अस्पृश्यता को मान्य नहीं किया गया है और व्यक्ति अपने कर्म के अनुसार समाज में सम्मान पाता है अत: जाति और जन्म के अनुसार जो सामाजिक स्थान का निरुपण करते हैं वे गलत हैं। […] Read more » Behave जीवन दृष्टि