गजल उल्फत-ए-ज़िन्दगी May 27, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -लक्ष्मी जायसवाल- क्यों मेरी ज़िन्दगी पर मेरा इख़्तियार नहीं है क्या इस पर अब मेरा कोई भी अधिकार नहीं है। ज़िन्दगी के खेल में कैसे मैं इतनी पिछड़ गई कि अपने ही सपनों से अब मैं फिर बिछड़ गई। संवरने लगी थी ज़िन्दगी मेरे नादां अरमानों से क्यों मैं इन्हें संभाल नहीं पायी वक़्त के […] Read more » गज़ल जीवन पर गज़ल