कविता डरता है मन मेरा November 17, 2016 by लक्ष्मी अग्रवाल | Leave a Comment डरता है मन मेरा कहीं हो न जाए तेरे भी जीवन में अंधेरा नाजों से पली थी मैं अपनी बगिया की कली थी एक दिन उस बगिया को छोड़ चली थी मैं नए सपनों को देख मचली थी मैं जैसे बहारों के मौसम में खिली थी मैं पर अगले ही दिन मुस्कान खो चुकी थी […] Read more » डरता है मन मेरा