कविता
तूम और तेरा साथ
/ by ऋषभ कुमार सारण
ऋषभ कुमार सारण कर जातें है, कतल वो, नजराने तेरी आँखों के, अफसाने तेरे उन लफ्जातों के, आ जाती हो जब तुम, दरमियां मेरे उन सपनों के, कर अहसास तेरे दामन का, एक लम्हा सा जी जाता हूँ ! मेरी इस तन्हाई में भी, यूँ बस जन्नत सी पा जाता हूँ !! सुनता हूँ […]
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