कविता तेरी कविताओं को काली स्याह सड़कें नहीं पढ़ती January 18, 2021 / January 18, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकबार-बार जिसके खिलाफ लिखते कवितावे पढ़ते नहीं,मरती नहीं उनकी मानसिकताहर बार मर जाती तेरी कविता! जिसे रोज-रोज ही नोनिआए ईंट के माफिकएक-एक सड़े अवयव को फेंकते रहतेऔर चिपका देते हो तुम नव खरपाक ईंटेंफिर क्यों बालू की भीत सीभहरा-भहरा जाती तेरी लिखी कविताएं!! तेरी कविता तेरी रहती,होती नहीं उनकीजबतक वो नहीं पढ़ते जिनके […] Read more » काली स्याह सड़कें तेरी कविताओं को काली स्याह सड़कें नहीं पढ़ती